‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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दूरदर्शन की दुनिया

1 comments
अजब --गजब हो गई है
                  दूरदर्शन की दुनिया भी !
जो देखो............ अपने आप को
                          भुनाने मै लगी हुई है !
कभी राखी का इंसाफ है तो ,
           कभी बिग बॉस की आवाज़ बनी हुई है !
ये बाजारवाद तो परम्पराओ को ,
                    विकृत रूप देने मै लगी हुई है !
और देखो न ये तो  युवावर्ग मै
             रोज़गार का गन्दा रूप भरने  मै लगी हुई है !
और कहती है.......... वो परिवार को ,
                              बस  जोड़ने मै लगी हुई है ?
ये तो  वास्तव मै वास्तविकता का ,
                          मजाक उड़ाने मै लगी हुई है ?
हर पूंजीवाद अपनी पूंजी के प्रवाह से,
             हर एक मासूम को जाल मै फ़साने मै लगी हुई  है ?
न जाने ये कब तक अपना जाल बिछाएगी !
                        युवावर्ग के हृदये मै प्रहार करती जाएगी !
उनकी इस अदा मै न जाने क्या नशा है !
                            हर घर का बन्दा उसमे ही खो सा गया है !
उनकी तो आमदनी का काम आसां बन गया है !
                   यहाँ सबके घर का माहोल बिगड़ सा गया है !

One Response so far.

  1. Anonymous says:

    Hamari sanskriti ko mita raha hai aaj ka ye samaj darshan, na jane kaha ki ku-sanskriti hum par thopi jaa rahi hai..

 
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