‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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मत कहो अनाथ

9 comments


क्यु  कहते हैं कुच्छ
लोग खुद को अनाथ
क्या उनके माँ बाबा के ..........
संस्कार उनके साथ नहीं ?
अनाथ तो शायद वो होते हैं
 जिनके माँ - बाप तो हैं पर.............
उनके दिल मै उनके लिए
 कोई स्थान नहीं
उनके पास सब कुच्छ है
पर उसकी कदर नहीं
अनाथो की तरह रहते हैं
और दर्द उनको देते हैं
केसी चाह है ये इन्सान की ?
जिसके पास माँ बाप नहीं ...........
वो उन्हें पाना चाहता है
और जिसके पास दोनों हैं
वो उसकी कीमत ही नहीं जानता  ?
काश वो इस दर्द को
कभी समझ पाता ..............
और माँ पाप का एहसान चुका पाता
वक़्त ही तो है
गुजरने मै कितना
समय लेगा ?
फिर उस दर्द की भरपाई
कोंन करेगा ?

9 Responses so far.

  1. Jyoti says:

    Kash ki maa baap ko hum aur hame wo samajh paate.

  2. Jyoti says:
    This comment has been removed by the author.
  3. हाँ दोस्त जिंदगी मै एक दुसरे को समझना बहुत जरुरी है तभी जिंदगी हसीन हो सकती है !लेख पड़ने का शुक्रिया दोस्त !

 
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