‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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सम्वंत् वर्ष 2070 की हार्दिक शुभकामनाए

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राजीव खण्डेलवाल
                 विक्रम संवंत् वर्ष 1982 (सन् 1925) मे हुई संघ की स्थापना वर्ष से वर्ष- प्रति प्रदा प्रतिवर्ष मनाते हुये , 88 वर्ष हो गये है। इसके बावजूद यह हिन्दू कैलेन्डर हमारे जीवन का एवं देनान्दिक कार्यो का कुछ भी हिस्सा न बनकर मात्र एक वार्षिकोउत्सव ही रह गया है । आज की इस वर्ष प्रतिप्रदा ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वास्तव मे संवंत् (वर्ष) का हिन्दू संस्कृति मे स्थान रहा है सत्यता है तो उसे समस्त भारतीय नागरिको को़ भी और कम से कम हिन्दू नागरिक तो  इस संवंत् कैलेन्डर को अपने जीवन मे अलग रूपों में  अगींकार कर सकते है । ताकि हम दूसरे नागरिको को यह प्रेरणा दे सके  कि वे भी इसे अगींकृत कर सके क्याोकि अन्य देशो मे भी अल्पसंख्यको को बहुसंख्यको द्वारा स्थापित रीति रिवाजो का पालन करना होता है । 
                 इस देश का बहुत बड़ा वर्ग हिन्दू संगठनो खासकर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ा हुआ है क्योकि वह राष्ट्रीयता देशभक्ति और विरासत मे मिली हमे गौरवान्वित करने वाली संस्कृति को न केवल अक्षुण बनाये रखना है बल्कि उसको निरन्तर प्रगति के पथ पर ले जाने का कोई कार्य इस देश मे यदि कोई संगठन कर रहा है तो वह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ है। उसके उद्वेश्यो पर शायद ही कोई व्यक्ति उंगली उठा सकता है ऐसे लोग मात्र संकुचित राजनिति सोच के व संकीर्ण विचार के ही रहते है ं। यद्यपि उक्त उद्वेश्यो की प्राप्ति के लिये उनकी कार्य पध्दति को लेकर कई लोग असहमत हो सकते है। लंेकिन दुख का विषय यह है कि वार्षिक उत्सव के मानने वाले करोडो व्यक्ति अपने स्वंय के जीवन में उसको कार्य रूप मे पर्णित न करके एक वार्षिकोत्सव.के रूप में मना रहे है यह एक बड़ी ज्वंलत  सोचनीय स्थिति है ।
                 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कम से कम यह तो कर ही सकता है। कि वह अपने समस्त कार्यक्रमो के क्रियान्वयन में विक्रम संम्वत वर्ष तिथि का उपयोग करे।  जन्म दिवस, वैवाहिक वर्षगॅंाठ में हम जब एक दूसरे को बधाई दे तो उसके लिये कैलैन्डर वर्ष की बजाय सम्वत् वर्ष एवं तिथि का उल्लेख करे। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ उनके संमस्त अनुषागिंक संगठन एवं उनके आदर्शो को मूल रूप से सिद्धान्त स्वीकार करने  वाली भाजपा की समस्त राज्य सरकारे स्कूलो में जन्मतिथि का उल्लेख सम्वत् कैलेैेन्डर वर्ष के रूप में करे । समस्त सरकारी कार्यो में जहंा नागरिको की या सरकारी नौकरीयो में जन्म तिथि, वैवाहिक तिथि, मृत्यु तिथि का उल्लेख किया जाना आवश्यक होता है वहां सम्वत् कैलेैन्डर केा उपयोग किया जाय। यदि राज्य सरकारो को सरकारी रिकार्डो मे विक्रम संम्वतं कैलेन्डर का उपयोग करने मे किसी  प्रकार की कानूनी अड़चन है( जो में नही समझता कि है) तो उसे दूर किया जाना चाहिये। डायरी को प्रकाशन भी गुडी पडवा से किया जा सकता है कम से कम राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के अनुषागिंक संगठन विद्या भारती विश्व हिन्दू परिषद एकल विद्यालय द्वारा चलाये जा रहे है विभिन्न समस्त शिक्षा मंदिरो, स्कूलो में तो यह व्यवस्था लागू की ही जा सकती है। प्रारम्भ मे व्यवहारिक कठिनाई आने के कारण उक्त तिथियो का उल्लेख दसंवी कैलेन्डर वर्ष के साथ किया जा सकता है।  कालान्तर मे जब संम्वत् वर्ष प्रचलन मे आ जाये तो केलैेन्डर वर्ष केा हठाया जा सकता है ।  ं
                 राजा विक्रमादित्य ने शको पर आज के ही दिन विजय प्राप्त की जिसके उपलक्ष में विक्रम संवत् प्रारभ किया । विक्रम संवत् अन्य वार्षिक केलेडंरो युगबाद्य , इसवी व हिजरो से कई मायणो मेे श्रेष्ठ है । आज ही के दिन पं. पू. डॉ. हेडगवार का जन्म हुआ था भगवान राजाराम का राज्याभिषेक भी आज ही के दिन हुआ था सिंधीयो का नया वर्ष चैती चांद भी आज ही से प्रांरभ होता है ब्रहमा जी ने आज ही के दिन सृष्टि की रचना की थी। हिन्दु समाज मे शादियो का मुहुर्त भी सामान्यतः विक्रम संवत् से ही निकाला जाता है । 
जब उठे तब सबेरा कहावत के आधार पर जो कार्य अभी तक हम प्रारभं नही कर पाये उसे आज से ही लागू करने का संकल्प लेकर अपने जीवन मे लागू करे । आज ही मुझे कुछ वर्ष प्रतिप्रदा की बधाई के संदेश मिले । उसमे से कुछ ने हिन्दू नववर्ष की शुभकामनाये दी गई । 1जनवरी को बधाई देने वाले किसी हिन्दू नागरिक ने अंग्रेजी नववर्ष या इसवी की बधाई नही दी । सिर्फ नववर्ष की बधाई दी गई यह स्थिति ही हमारी इच्छा शक्ति को प्रदर्शित करती है ।
                 यह भी कहा गया पर-उपदेश देने के बदले स्वंय के उपर आचरण लागू करना चाहिए। इसलिए मैने भी यह सोचा कि इसे अपने जीवन में लागू करने का प्रयास प्रारभं करु । इसी तारतम्य में अपने बेटे की शादी जो जेष्ट कृष्ण पक्ष 1-2 सम्वत 2070 को निश्चित की गई है मेै विक्रम सम्वंत कें वैवाहिक निमत्रण पत्रिका में  का उल्लेख करने जा रहा हूं । मै चाहता हूँ कि कम से कम वे लोग जो वर्ष प्रतिप्रदा प्रतिवर्ष मनाते है। अपने दैनिक जीवन मे तारीखो के उल्लेख मे सम्वत वर्ष का उल्लेख अवश्य करें। 
   (लेखक वरिष्ठ कर सलाहकार एवं पूर्व नगर सुधार न्यास अध्यक्ष है ) 
 
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