"आजकल देशभर में फैले ‘‘भ्रष्ट्राचार’’ एवं प्रशासन संचालन में ‘‘अव्यवस्था’’ रूपी दानव से लड़ने हेतु एक बड़ा माहौल चहुओर फैलता जा रहा है। देश का प्रत्येक नागरिक आज स्वच्छ, ईमानदार और कुशल व्यवस्था चाहता है। ऐसी स्थिति लाने के लिए आम आदमी कोई भी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। यही कारण है कि स्वतंत्रता के बाद 65 सालों से कुशासन और भ्रष्ट्राचार में डूबे अपने वतन को बचाने के लिए जनता सीना ताने खड़ी हो गई है। जो आवाम कल तक यह सोचकर भ्रष्टाचार को सहन करती जा रही थी कि जाने दो इससे हमें कौनसा सीधा नुकसान हो रहा है, आज सारे देश के नफा-नुकसान पर चिंतित है। जनता के जागने का ही परिणाम है कि आज चाहे योगगुरू स्वामीं रामदेव, समाजसेवी अन्ना हजारे हो या अरविंद केजरीवाल! जो भी इस कुरूपित व्यवस्था के खिलाफ झण्डा उठाता है, पूरे देश की जनता उनके साथ आकर अपना पूर्ण समर्थन और शक्ति प्रदान करने से नहीं चुकती! आज सम्पूर्ण देश में भ्रष्ट्राचार से लड़ने वाले स्वघोषित सैनिको और समाजसेवको की एक बड़ी फौज खड़ी है, बस जरूरत है उसे सही दिशा देने की।"
मुख्य मुद्दाः-
आजकल जिधर देखो उधर सुनने को मिल जाता है- ‘‘भ्रष्ट्राचार रोधी चीता संगठन’’ भ्रष्ट्राचार मिटाओं समिति’’ ‘‘भ्रष्ट्राचार रोधी लेपर्ड स्कॉड’’ ‘‘दी बॉस’’ ‘‘लायन स्कॉड’’ (ध्यान आकर्षण हेतु नाम बदलकर काल्पनिक दिये गये है ताकी सच को दबाने हेतु कोई विवाद न पैदा किया जा सके) आदि-आदि। इस तरह की समितियां सरकारी विभागों में विभिन्न सेवा कार्याे के नाम से रजिस्टर्ड होकर और अपने अपने तरीके से काम कर रही है। भारी फौजे बनायी जा रही है। निशुल्क-सशुल्क सदस्यताएं दी जा रही है। बैज, आईडी कार्ड, ड्रेस कोड दिये जा रहे है, क्षेत्र विभाग बांटे जा रहे है। प्रथम दृष्टया देखे तो इनकी पहुंच सरकार, शासन-प्रशासन, जॉच-विभागों, पुलिस विभाग सभी तक होती है। इन समितियों को आम नागरिक किसी भी प्रकार परेशानियों के बाबत् शिकायत करते है फिर इन समितियों के ‘जांच अधिकारी’ निश्चित समय में जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट पेश करते है। फिर आगे क्या करना है यह फैसला समितियों के मुख्य अधिकारी करते है।
इतने बड़े संगठन, इतनी बड़ी टीमें, जांच में लगने वाला मेन पॉवर, समय, धन, सामग्री, डीजल पेट्रोल, कर्मचारियों की तनख्वा, भत्ते ये सब कहा से आते है? क्या सरकार देती है? जेब से जाता है? चंदा किया जाता है? जनता देती है? या मुद्दो से सौदेबाजी होती है? जहां देश की सर्वोच्च संस्था सीबीाआई भी अपने आपको दाग लगने से नहीं बचा पा रही है वहां इस तरह के स्वघोषित सीबीआई देश को वो सब दे पायेगी? जो आशाएं आज आम-जनता लगाये बैठा है?
कुछ वाक्येः-
-पिछले वर्ष मुझे जयपुर के एक भ्रष्ट्राचार रोधी संगठन के मुखिया से ऑनलाईन बात करने का मौका मिला। उन्होने मुझे उनके संगठन का वीजन बताया और मुझे उसमें शामिल होने हेतु आग्रह किया। कुछ दिन बाद ही उन्होने मेरे पते पर एक लिफाफा भेजा। देखने पर तो ऐसा लगा जैसे भारत सरकार के किसी खूपिया डिपार्टमेंट का लिफाफा होगा। उसपर प्रेषक संगठन के नीचे लिखा था ‘‘भारत सरकार के भ्रष्टाचार रोधी विभाग, सीबीआई, आईबी, रॉ, क्राईम ब्रांच का सहयोगार्थ संगठन। अन्दर फार्म और सदस्यता फीस की जानकारी थी और जिसमें प्रदेश प्रमुख, जिला प्रमुख, तहसील प्रमुख, नगर प्रमुख आदि-आदि पोस्ट के लिए वांक्षित फीस और बाहरी कलेक्शन की जानकारी थी।
-एक दिन मेरे ऑफिस के सामने एक कार खड़ी हुई। उसके सामने बोर्ड लगा था उस पर लिखा था ‘‘जॉच अधिकारी’’ राष्ट्रीय भ्रष्ट्राचार निरोधक...........................। देखकर ही मैं डर गया, मैने सोचा हमने ऐसा क्या काला पीला कर दिया जो हम पर भारत सरकार की रेड पड़ रही है। थोड़ा गौर से देखा तो पता चला कि ये तो अपनी पड़ोस की ही सीबीआई है।
एक दिन एक भ्रष्टाचार निरोधक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा मुझे उसमें शामिल होने का ऑफर किया गया। उन्होने मुझे कहा कि आपका काम बहुत ही अच्छा है। आप अगर हमारे साथ मिलकर काम करोगे तो निश्चित ही बहुत जल्दी तरक्की करोगे और प्रसिद्धि पाओगे। मुझे तनख्या कौन देगा और तरक्की कैसे होगी?
एक दिन मेरे ऑफिस में एक भ्रष्टाचार निरोधक संगठन के जिलाध्यक्ष को एक पीड़ित अपनी समस्या बता रहा था कि उसकी अपने पड़ोसी से बनती नहीं है, वो उसे परेशान करते रहता है। झट जिलाअध्यक्ष महोदय ने प्लान बताया कि आजीवन सदस्यता 1100/- है, और सालाना 600 रूपये है। एक बार हमारे संगठन के सदस्य बन जाईये फिर उसे देखते है। उसका जीना हराम कर देंगे। उसको देख लेंगे।
समस्याएंः-
पहली समस्या यह कि आज देश में गली मोहल्ले नगर में जोड़े तो इतने सारे भ्रष्ट्राचार रोधी संगठन और स्वघोषित सैनिक हो गये है, कि शायद भ्रष्ट्राचारियों की गिनती भी उनसे चालिस/छत्तीस ही बैठे।
दूसरी समस्या यह है कि ज्यादातर संगठन या तो शासन व्यवस्था से तृस्त हुए लोगो में से निकले महत्वाकांक्षी लोगो की उपज है, या फिर किसी राजनेता के सह पर अपने विरोधियों, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को ब्लेकमेलिंग कर पैसा उगाहने के उद्देश्य से बनाये गये गुट।
तीसरा यह कि अपने आपको सीबीआई, आईबी, क्राईम इन्वेस्टिगेशन फोर्स का सहयोगी संगठन मानने और बताने वाले इन कुकुरमुत्ता संगठनो पर कोई सरकारी गाईडलाईन नहीं है। इसलिए इनके तरीके कई बार शासन प्रशासन को परेशान करने वाले होते है। इन्हे न तो कोई प्रशिक्षण दिया जाता और न ही इनके निचले स्तर के कर्मचारी को ज्यादा पता होता है कि वे ओरिजनल इन्वेस्टिगेशन अधिकारी है या स्वघोषित।
चौथा ये कि इनमें से कुछ संगठन भ्रष्टाचार और कुरूपित व्यवस्था के खिलाफ लड़ने के बजाय ब्लेकमेल करके पैसे उगाही और व्यक्तिगत दुस्मनी निकालने के जरिये के रूप में इस्तेमाल किये जा रहे है। अफसर शाही आज इस तरह के समितियों एवं संगठनों के ब्लेकमेल से निश्चित ही परेशान हो रही है! इस तरह से भ्रष्ट्राचार रूकने एवं व्यवस्था सुधरने के बजाय कार्यप्रणाली में काम गति बाधित हो रही है!
बहुत सी और समस्याएं है जो भविष्य में सामने है और भविष्य में आने वाली है। अभी-अभी ‘स्वामीं रामदेव और अन्ना आंदोलन‘ के प्रयासो से हुई जन-जन शक्ति की बारिस तले उगे ये ‘कुकुरमुत्ता संगठन’ बहुत कुछ दिखाने वाले है।
हमारे सामने उदाहरण किसानों की समस्याओं को लेकर कुछ समय पूर्व शुरू हुआ एक आंदोलन है। आज इन्हे ‘‘नक्सलियो’’ के रूप में जाना जाता है। यह इसी तरह का जांच संगठन या भ्रष्टाचाररोधी, व्यवस्था के खिलाफ लड़ने वाला संगठन है यह तो मैं नहीं कहुंगा है, परन्तु किसी अच्छे आंदोलन को गलत दिशा में कैसे मोड़ा जाता है इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण है।
समाधानः-
इस तरह के संगठनों के गठन या संचालन हेतु कोई सरकारी गाईडलाईन या फिर कानून बनाया जाना चाहिए। जिससे कि भ्रष्ट्राचार एवं शासन व्यवस्था के खिलाफ जो जनमानस आज जाग चुका है उसका इस तरह से दिशा भ्रमित कर गलत फायदा न उठाया जा सके। इस तरह की समितियां भ्रष्टाचार मिटाने और व्यवस्था सुधारने का जरिया बने न कि भ्रष्ट्राचारी नेताओं और अधिकारियों को बचाने और पलटवार करने वाली एक कठपुतली।
लोग इस तरह के संगठनों से इसलिए जुड़ रहे है क्योंकि उन्हे लगता है कि भ्रष्ट्राचार से लड़ने और शासन व्यवस्था को सुधारने का यह भी एक तरीका है। परन्तु कुद अच्छे की आशा में जुड़ने वाले लोग अपनी शक्ति को निश्चित ही गलत जगह व्यर्थ गवा रहे है और किसी तीसरे व्यक्ति के स्वार्थ सिद्धी का कारण बन रहे है।
faire aucune tentative pour faire rentrer la,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
दीपावली की शुभकामनाएँ!
swarovski uk
nike free 5.0
the north face outlet store
new orleans saints jerseys
golden state warriors jerseys
coach outlet
philadelphia eagles jerseys
cheap nike shoes
michael kors outlet
moncler coats
washington redskins jerseys
los angeles clippers jerseys
los angeles lakers jerseys
chanel handbags
tory burch outlet
barcelona jersey
chicago bears jerseys
atlanta falcons jersey
air max 2015
nike free
the north face jackets
new england patriots jerseys
tommy hilfiger outlet
cheap football shirts
christian louboutin uk
hermes birkin
nike running shoes
koby bryant shoes
air jordan shoes
true religion jeans
real madrid jersey
evening dresses
canada goose outlet
beats headphones
cheap wedding dresses
cheap soccer jerseys
juicy couture outlet
michael kors uk
miami heat jersey
ysl outlet
wei20150612
michael kors outlet online
yeezy boost
birkenstock sandals
pandora jewelry
ralph lauren sale clearance
christian louboutin outlet
ralph lauren uk
toms outlet
mulberry outlet
michael kors handbags
20170327huazhen
nike huarache trainers
true religion jeans
cheap ray bans
coach handbags
titans jersey
coach outlet
ray ban sunglasses
ugg outlet
fitflops sale clearance
polo outlet