‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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भविष्य का सम्बन्ध वर्तमान से

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  इतिहास गवाह है इन्सान ने जब भी किसी विपदा ( विपत्ति ) का सामना अगर किया है तो उसका जिम्मेदार वो खुद होता है ! उसी के  द्वारा की हुई गलती का भुगतान वो बाद मै करता है ! क्युकी जब हम कोई भी फ़ेसला लेते हैं तो हमे सिर्फ वर्तमान का ही सुख दिखता है और उसी  ख़ुशी का भुगतान हमे भविष्य मै  दर्द सह कर देना होता है ! चलो आज हम इतिहास के कुच्छ एसे ही वाकये पर नज़र डालते हैं जिससे सारी दुनियां अच्छे से परिचित है ! अब रामायण को ही ले लेते हैं कोंन नहीं जानता रामायण को , इनके किरदारों को मेरे ख्याल से इसकी पहचान बहुत से  लोगों को है ! ये हमारे देश का बहुत पावन  ग्रन्थ है ! हम इसे पड़ते हैं इसकी पूजा करते हैं और दशहरे के दिनों मै हर घर मै इसकी चर्चा सुनी जा सकती है ! रामायण हमे इन्सान के हर रूप से पहचान करवाने का मोका देती है ! की किस तरह चाल  चल के केकई ने राम को बनवास दिया इससे उसकी चालाकी का पता चलता है फिर चोरों भाइयो का एक दुसरे के प्रति समर्पण , सीता का पति के लिए त्याग , पिता का बेटे के प्रति प्यार , रावन का लालच आदि ! रामायण मै  इन्सान के हर चरित्र का   चित्रण बखूबी से  दिखाया गया है ! हमारी हर पीड़ी उसे पड़ती है उसका बखान भी करती है ! और फिर उसे बहुत प्यार से समेट के रख भी देती है ! हर एक के साथ बैठ कर श्री राम . सीता माँ , लक्ष्मण , भारत के बारे मै बात करते हैं की उन्होंने कितना बड़ा त्याग किया लक्ष्मण ने श्री राम का कितना  साथ दिया पर जिस मकसद को पूरा करने के लिए श्री राम , कृष्ण ने ये लीलाएं रचाई तो हमने उन्हें अपने जीवन मै कहाँ ग्रहण किया ! अरे ............ जो खुद अंतर्यामी है हर चीज़ जिसके बस मै हो , जिसकी रज़ा से एक पत्ता भी नहीं हिल पाता हो उसे ये सब कष्ट सहने की जरुरत ही क्या थी ! ये सब हमारे लिए किया गया प्रयास था की इन्सान ............. आगे जब भी कोई कदम उठए तो वो रामायण , महाभारत और बड़े बड़े गर्न्थों से सबक ले सके ! उसने तो हर कदम पर हमारा साथ देना चाहा पर हमने कभी कोशिश ही नहीं की ! हमने उसे सिर्फ और सिर्फ हमारा धरम का  नाम दे कर ही संभाल लिया ! अगर हम सच मै रामायण और महाभारत जेसे ग्रंथों को सम्मान देना चाहतें हैं तो उन सभी मै घटित अच्छी - अच्छी  बातों का हमे अनुसरण करना ही होगा तभी हमारे ग्रन्थ सार्थक हो पाएंगे  ! वर्ना इन ग्रंथों को सिर्फ पूजना और सम्मान देना अपने आप से ही नहीं पूरी सृष्टी से धोखा होगा अगर हम इन से कोई सीख न ले पायें तो .............

                गाँधी जी ने बहुत खुबसूरत बात कही थी ........................
    भूल करके सिखा जाता है ,
              लेकिन इसका मतलब  यह नहीं
                          
 कि जीवन भर ..  भूल ही की जाये !

                                                                           अब देखो न अमेरिका ने अपने बल पर कभी किसी देश मै तो कभी किसी देश मै अपना अधिकार जमाना चाहा जिसका भुगतान उसे वर्ड ट्रेड सेंटर .......... के रूप मै देना पड़ा ! अब पाकिस्तान को ही ले लो तालिबानों को शरण दी की वो उनकी मदद करेंगे पर नतीजा ये हुआ की आज वो ही इन पर भारी  पड़ रहें हैं उनके ही देश मै रह कर उन्ही का खून बहाने से नहीं घबरा रहेँ हैं वो , उनका मकसद न जाने क्या है पर नाम जेहाद का लेते हैं जिसका इंसानियत से दूर - दूर तक  कोई परिचय ही न हो तो वो इस शब्द के मतलब को भला क्या जान पाएंगे वो इन्सान की भावना को केसे समझ सकतें हैं ! सब कुच्छ तो इन्सान से ही जुड़ा है  प्यार , नफरत , आक्रोश , घमंड और समर्पण बस हमे अपने अन्दर से अच्छे - अच्छे संस्कारों को उभारना है अपने अन्दर संयम लाना है ! अगर इन्सान ही नहीं रहेगा तो धर्म का अर्थ ही कहाँ रहेगा क्या इतनी छोटी सी बात भी हम नहीं समझ पा रहें ! अब हम अपने देश को ही लेते हैं हमारे देश मै होने वाली छोटी - बड़ी घटना के जिम्मेदार  क्या सिर्फ वो लोग हैं जो वारदात करते हैं नहीं ............ क्युकी हमारी थोड़ी सी की गई उस समय की लापरवाही ही उस वारदात का कारण बनती है ! तो अगर हम वर्तमान मै ठीक   से काम करते हैं तो हमारा भविष्य बहुत हद तक सुरक्षित हो सकता है क्युकी बिना वर्तमान के भविष्य संभव ही नहीं है तो क्यु न हम अपने इतिहास  के पन्नों से ही कुच्छ न कुच्छ सीखते रहेँ और उसे अपने जीवन मै ढ़ालते चलें  ! 
                           संसार मै न तो कोई शत्रु है न कोई मित्र !
                उनके प्रति  हमारे विचार मित्र और शत्रु का अंतर  करते हैं !
 
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