‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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देश के सबसे बड़े केस का सबसे बड़ा फैसला

1 comments
           समय-समय पर उठने वाले देश के सबसे बड़े विवाद और सबसे पेचीदा और कठिन मुक़दमे के सबसे बड़े फैसले ने एक बार फिर पुरे देश के कान खड़े कर दिए है..... अयोध्या मामले में मालिकाना हक़ का बहुप्रतीक्षित फैसला आने के असर लग रहे है.. यह देश का सबसे बड़ा केस और फैसला इसलिए है क्योंकि ये मामला तब से विवादित है जब बाबर ने अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई यह ठीक उसी तरह हुवा जैसे शारजहां ने शिव मंदिर को मोडिफाई करके मकबरा (ताजमहल) बनाया.. तब से लेकर 500 वर्ष हो गए है यह जिन्न समय-समय पर बाहर आकर देश कि सुख-शांति में बाधा पहुँचाता रह्ता है.. अब थोड़ी सी उम्मीद जगी है इस विवाद के सुलझ जाने की जिसका इन्तेजार देश कि लगभग सवा सौ करोड़ जनसँख्या ही नहीं पुरे विश्व को है ...              
           इस केस कि भयानकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रास्टमंडल खेलो में लग रहे दाग को साफ़ करने और काश्मीर विवाद को सुलझाने के बजाये हमारी केंद्रीय सरकार भी इसी केस के पीछे दिमाग खपा रही है.. देश के प्रत्येक राज्य कि पुलिस हाई अलर्ट पर है हजारो करोड़ रुपये का गोलमाल सुरक्षा के नाम पर हो रहा है.. यदि राजनैतिक पार्टियों कि बात कि जाए तो ये मुद्दा उनके लिए रोजी रोटी का सवाल है... वो कभी चाहती ही नही कि ये मुद्दा कभी सुलझ पाये और ना ही वे इसे सुलझने दे रहे है.. वैसे भी दूध देती गाय को कौन है जो ऐसे ही छोड़ देगा...
         सरकार इस फैसले को रुकवाने के लिए जी-जान से जोर लगा रही है.. क्योंकि एक तो अगले महीने माई-बाप (ओबामा) आ रहे है उन्हें क्या जवाब देंगे,.. ऊपर से राशट्मंडल खेलो ने जीना मुहाल कर रखा है.. लेकिन माननीय सुप्रीम कॉर्ट ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेरतें हुए हाइ कॉर्ट को फैसला सुनाने के लिए हरि झंडी दे दी है.. कोई बात नही फ़ैसला आ भी जाए तो सरकार ने पहले ही इस बवाल को शांत करने का पूरा मन बना रखा है तभी देश में बुल्क मेसेज, मल्टीमीडिया मेसेज पर रोक लगा रखा है, जिससे देश कि संदेश सेवाये चाहे बंकिग हो, सूचना तंत्र हो, व्यापारिक संदेश सेवा हो प्रभावीत हो रही है.. सुरक्षा व्यवस्था इतनी कठिन है कि घर से बाहर निकालना मुस्किल हो जाए. लोगो को अपने भविष्य के प्लान रद्द करने पड़ रहे है कि कब फ़ैसला आ जाय और सड़कों पर मुसीबत खड़ी हो जाए.. देश के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.. इसकी किसिको कोई फिक्र नही...
        यह फैसला इतना बड़ा है कि इसके शांत होने के बाद देश कि नई दिशा तय होने वाली है.. देश में हिंदू मुस्लिम भाइ चारे कि जो मिसाले दी जाती है उसकी भी परख होना है, कि एक भाई को कोई चीज मिल जाए तो दूसरा भाई क्या प्रतिक्रिया देता है पता तो चले.. इस फैसले के आने के बाद देश में रह रहे धर्मों कि देश कि कानून व्यवस्था और संविधान में कितनी आस्था है, जिस मातृभूमि का हम खा रहे है जहा जी रहे है उस जमीन पर शान्ति बनाए रखने के लिए हम कितना बर्दास्त कर सकते है क्या समर्पित कर सकते है इसका भी पता चल जायेगा..
        देश का आम नागरिक आज बहुत डरा और सहमा है क्योंकि हमारे देश में किसी भी मुद्दे या परेसानी को अभिव्यक्त करने का जो तरीका है वो गाँधीजी के सिद्धांतों से बहुत भिन्न हो गया है.. यहा सार्वजनिक सम्पति को तोड़फोड़ नुकसान करके, व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद करके, लोगो कि हत्या करके, और उग्र आंदोलन से अपनी मन कि भावनावो को व्यक्त किया जाता है..
        देश में अगर मत लिया जाए तो प्रत्येक नागरिक यही कहेगा कि बार बार मरने से अछा है कि एक बार भुगत लिया जाए..

One Response so far.

  1. बहुत सही कहा तुमने बार बार मरने से अच्छा है एक बार मै ही फेसला हो जाये !
    येसे ही लिखते रहो दोस्त !

 
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