‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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मै तेरा शिव, मेरी शक्ति तू है...

11 comments
उस मंजिल की महक तो होगी सुन्दर..
जहा चलना हो हाथ पकड़कर ..
राह अलग न ख्वाब जुदा है..
हर कदम गर साथ सदा है..
मै तेरा प्रिय तू प्रियतम है..
मेरे अधरों से निकली तू गजल है..

बता ये इत्तेफाक या समर्पण?
क्यों मेरे ख्वाब तेरी मंजिल है?
क्यों तुझ बिन मेरी सायरी अधूरी?
मेरी महक बिना तेरी कविता न पूरी?
सायद हकीकत ये हो जिंदगी की ...
सायद, मै तेरा शिव, मेरी शक्ति तू है...

11 Responses so far.

  1. betuliyan says:

    एक कुवारे ने इस तरह का लेख लिखा तो मेरे दोस्त ने कमेन्ट करने के बजाये मुझसे प्रश्न पूछा की ये मैंने किसके लिए लिखा है..
    ये लाइन मैंने संजय कुमार चौरसिया जी के ब्लॉग में उनकी पत्नी का पोस्ट पढ़ा.. उनके इस सामंजश्य से में बहुत प्रभावित हुवा और मेरे कलम से उनके सम्मान में ये लाइन निकल गयी..

  2. सुंदर भावाभिव्यक्ति......

  3. वास्तव में नारी शक्ति का ही दूसरा रूप है. तभी तो हमारे यहाँ 'शक्ति-स्वरूपा ' नौ रूपों में माँ दुर्गा की पूजा होती है .शिव और शक्ति एक-दूजे बिना अपूर्ण हैं. आपकी रचना इसी भाव-भूमि पर आधारित है. बधाई और आभार. आज वसंत-पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

  4. सुन्दर भावाव्यक्ति।बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

  5. Anonymous says:

    Beautifully written blog post. Delighted Im able to discover a webpage with some insight plus a very good way of writing. You keep publishing and im going to continue to keep reading.

  6. Anonymous says:

    con dos proyectiles alojados en la columna,

 
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